500 वर्ष से अधिक पुरानी है भगवान गणेश की गोबर से बनी प्रतिमा
आगर मालवा जिले के नलखेड़ा में गोबर के गणेश से आर्शिवाद लेने के लिए भक्तो की भीड उमड रही है, गोबर के अतिप्राचिन यह श्रीगणेश श्रद्धालुओ के आर्कषण केन्द्र बने हुए है, दस दिवसीय गणेश उत्सव के दौरान जिले के नलखेडा में गणेश दरवाजा स्थित प्राचिन गणेश मंदिर में रिद्धी सिद्धी के दाता भगवान श्री गणेश की पांच सौ वर्ष से अधिक पुरानी गोबर से बनी प्रतिमा का अनुपम श्रंगार किया गया है, भक्तो की मनोकामनाएं पुर्ण करने वाले भगवान श्रीगणेश के मनोहारी श्रृंगार के दर्शन का लाभ लेने नगर सहित आसपास के कई स्थानों से बड़ी संख्या में भक्तजन पहुँच रहे है।
रिद्धि -सिद्धि, वाहन मूषक के साथ विराजमान है श्रीगणेश
राजा नल की नगरी नलखेडा में पांडवकालीन पीतांबरा सिद्धपीठ मां बगलामुखी का प्राचीन मंदिर होने से यह नगर देश सहित विदेशो में प्रसिद्धी प्राप्त कर रहा है, वहीं नलखेडा नगर के मध्य बीच चौराहे पर गणेश दरवाजा स्थित गणेश मंदिर में अत्यंत ही प्राचीन 10 फीट उंची गणपतिजी की प्रतिमा विराजमान है, जो कि इन दिनो आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है, नगर के मुख्य द्वार पर इस प्रतिमा की स्थापना किसने की इसका उल्लेख तो कहीं नहीं मिलता है परन्तु पुरातत्व वेत्ताओ के अनुसार यह प्रतिमा 500 वर्ष से अधिक पुरानी होकर गोबर से निर्मित हैा गोबर के श्रीगणेश की इस विशाल प्रतिमा के साथ साथ आसपास रिद्धी सिद्धी की प्रतिमाएं भी विराजित है, साथ ही प्रतिमा के पैरो के समीप मुषक बना हुआ है तो एक हाथ में लड्डु बना हुआ है, कमल के फुल पर विराजित यह प्रतिमा आकृषक श्रंगार से और भी अनुपम दिखाई देती है, यहाँ भगवान श्री गणेश कमल के फूल पर रिद्धि -सिद्धि और अपने वाहन मूषक के साथ बैठी हुई मुद्रा में विराजमान है। गणेश उत्सव के मौके पर मंदिर में विशेष विधुत सज्जा की गई है,…
मंगलमुर्ति के दर्शन और मनोकामनाएं लेकर यहां दुर दुर से भक्त आते है…. और कहा जाता है कि सबकी मनोकामनाएं पुरी करने वाले गोबर के यह गणेश कभी किसी को निराश नहीं करते…..