विगत वर्षों के UPSC सिविल सेवा के प्रश्न पत्रों का अवलोकन करें तो पाएँगे कि विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी सेक्शन से परम्परागत प्रश्नों की तुलना में समसामयिक प्रश्न ज्यादा पूछे जा रहे हैं। अभ्यर्थियों को कई बार समस्या होती है कि इस विषय की समग्र तैयारी कैसे करें। ताकि परीक्षा में पूछे जा रहे लगभग प्रश्न अध्ययन की परिधि में हों। इन्हीं तरीकों को सीखने के लिए हमारी टीम ने श्री रितेश जायसवाल सर से बात की है, जो वर्तमान में संस्कृति IAS Coaching के एक्जक्यूटिव डायरेक्टर है और सर सामान्य अध्ययन का विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी खंड पढ़ाते हैं।
रितेश सर का सिविल सेवा के अध्यापन क्षेत्र में लगभग दो दशक का अनुभव है। संस्कृति IAS Coaching में आने के पूर्व सर दृष्टि IAS में सामान्य अध्ययन की शुरुआत से ही वहां विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी खंड पढ़ा रहे थे। 2020 में दृष्टि IAS छोड़कर अब संस्कृति IAS Coaching में अभ्यर्थियों का मार्गदर्शन कर रहे हैं।
संस्कृति IAS Coaching के रितेश जायसवाल सर ने विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी को अपडेट रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स दिए-
विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी से प्रारंभिक परीक्षा में 13 से 16 प्रश्न पूछे जाते हैं। मानविकी विषय की तुलना में कम परिश्रम से इस विषय के प्रश्नों को हल कर सकते हैं, चूँकि प्रश्नों में उलझाव कम होता है।
• सर्वप्रथम NCERT की पुस्तकों से परम्परागत समझ विकसित करें।
• परम्परागत ज्ञान को मज़बूत करने के साथ इसे अद्यतन (Update) करते रहें।
• समाचार पत्र (The Hindu, Indian Express, दैनिक जागरण राष्ट्रीय संस्करण), पत्रिकाएँ (विज्ञान प्रगति, Science Reporter) आदि से अध्ययन करें। इन स्त्रोतों से परीक्षा में सीधे प्रश्न पूछ लिए जाते हैं।
• नई खोज, नवाचार, आविष्कार आदि जो चर्चा में रहे हों उनके बारे में विस्तार से अवश्य पढ़ लें।
सर ने एक उदाहरण देकर समझाने का प्रयास किया-
प्रश्न- ‘रीकॉम्बिनेंट वेक्टर वैक्सीन’ के संबंध में हाल के विकास के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. इन टीकों के विकास में जेनेटिक इंजीनियरिंग का उपयोग किया जाता है।
2. बैक्टीरिया और वायरस का उपयोग वैक्टर के रूप में किया जाता है।
ऊपर दिए गए कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
सर ने कहा कि यदि अभ्यर्थी ने इसे थोड़ा भी कहीं पढ़ा होगा तो यह प्रश्न आसानी से हल हो जाएगा।
रितेश जायसवाल सर ने कहा कि कई बार अभ्यर्थी उपर्युक्त स्त्रोतों से सूचनाएं ढूंढ पाने में सहज नहीं होते हैं या समय की कमी के कारण उन्हें स्वयं को अपडेट रखना जटिल हो जाता है। ऐसी समस्याओं में Sanskriti IAS Coaching के क्लास नोट्स एवं मासिक पत्रिका का अध्ययन भी पर्याप्त होगा। अंत में सर ने कहा कि विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी में मजबूत पकड़ परीक्षा के बोझ को कम कर देगी और चयन होने की संभावना कई गुना बढ़ जाएगी।